हम अपने दिल को समझाते रहते हैं
सावन-भादो आते जाते रहते हैं
प्यार के पंछी कब रुकते हैं उड़ने से
दुनिया वाले शौर मचाते रहते हैं
महफिल-महफिल हंसते हैं मुस्काते हैं
तन्हाई में अश्क़ बहाते रहते हैं
चाँद, हवा, फूल, किताबें, जुगनू, तितली
मिल कर मेरा जी बहलाते रहते हैं
बादल, चिड़िया, तोता, दरिया और 'परवाज़'
अपना-अपना दर्द सुनते रहते हैं
bahut hi badhiya......khubsurat rachana
जवाब देंहटाएंbahut khoob janab....!
जवाब देंहटाएंचाँद, हवा, फूल, किताबें, जुगनू, तितली
जवाब देंहटाएंमिल कर मेरा जी बहलाते रहते हैं
आपकी ग़ज़लों की परवाज़ बहूत ऊंची है........... हर शेर लाजवाब है