सहमा सहमा हर इक चेहरा मंज़र मंज़र खून में तर
शहर से जंगल ही अच्छा है चल चिड़िया तू अपने घर
तुम तो ख़त में लिख देती हो घर में जी घबराता है
तुम क्या जानो क्या होता है हाल हमारा सरहद पर
बेमोसम ही छा जाते हैं बादल तेरी यादों के
बेमोसम ही हो जाती है बारिश दिल की धरती पर
आ भी जा अब जाने वाले कुछ इन को भी चैन पड़े
कब से तेरा रस्ता देखें छत आँगन दीवार-ओ-दर
जिस की बातें अम्मा अब्बू अक्सर करते रहते हैं
सरहद पार नजाने कैसा वो होगा पुरखों का घर
जतिन्दर परवाज़
( देहली में 9868985658)
जतिंदर जी
जवाब देंहटाएंजिस की बातें अम्मा अब्बू अक्सर करते रहते हैं
सरहद पार नजाने कैसा वो होगा पुरखों का घर
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल है, हर शेर लाजवाब, और ये तो जान ले गया, बहुत उम्दा
ग़ज़ल बहुत सुन्दर बन पडी है |
जवाब देंहटाएंचल चिडिया तू अपने घर
वाह-वाह
बेमोसम ही छा जाते हैं बदल तेरी यादों के
जवाब देंहटाएंबेमोसम ही हो जाती है बारिश दिल की धरती पर
वाह!
बेमोसम ही छा जाते हैं बदल तेरी यादों के
जवाब देंहटाएंबेमोसम ही हो जाती है बारिश दिल की धरती पर
sabhi sher behad khoobsurat. badhai.
आ भी जा अब जाने वाले कुछ इन को भी चैन पड़े
जवाब देंहटाएंकब से तेरा रस्ता देखें छत आँगन दीवार-ओ-दर
--जबरदस्त!!
क्या बात है भाई. बहुत खूब. बहुत उम्दा शेर.
जवाब देंहटाएंबेमोसम ही छा जाते हैं बादल तेरी यादों के
जवाब देंहटाएंबेमोसम ही हो जाती है बारिश दिल की धरती पर
बहुत ख़ूबसूरत कलाम!
वाह... ! नए मसाइल ,साफ़ बयानी ....और ग़ज़ल का पैराहन सुंदर..! (naturica पर आपके लिए मुशायरा (साइबर) हाज़िर है।)
जवाब देंहटाएंहरेक शेर पढ़ मुंह से अपने आप "वाह" निकल गया.......
जवाब देंहटाएंलाजवाब ग़ज़ल !! वाह वाह वाह !!!
आनंद आ गया पढ़कर.......आभार इतनी सुन्दर रचना पढाने के लिए...
तुम तो ख़त में लिख देती हो घर में जी घबराता है
जवाब देंहटाएंतुम क्या जानो क्या होता है हाल हमारा सरहद पर
bahut khoob.
Awesome blog!
जवाब देंहटाएंसहमा सहमा हर इक चेहरा मंज़र मंज़र खून में तर
जवाब देंहटाएंशहर से जंगल ही अच्छा है चल चिड़िया तू अपने घर
जतिन्दर भाई बहुत ही प्रभावशाली प्रस्तुती । बधाई
wah wha kia baat hai ,,,
जवाब देंहटाएंbahut aacha
जवाब देंहटाएंaap ne dil ki baat dil tak pahunchaie