आँखें पलकें गाल भिगोना ठीक नहीं
छोटी-मोटी बात पे रोना ठीक नहीं
गुमसुम तन्हा क्यों बेठे हो सब पूछें
इतना भी संज़ीदा होना ठीक नहीं
कुछ और सोच ज़रीया उस को पाने का
जंतर-मंत्र जादू-टोना ठीक नहीं
अब तो उस को भूल ही जाना बेहतर है
सारी उम्र का रोना-धोना ठीक नहीं
मुस्तकबिल के ख्वाबों की भी फ़िक्र करो
यादों के ही हार पिरोना ठीक नहीं
दिल का मोल तो बस दिल ही हो सकता है
हीरे-मोती चांदी-सोना ठीक नहीं
कब तक दिल पर बोझ उठायोगे 'परवाज़'
माज़ी के ज़ख्मों को ढोना ठीक नहीं
कुछ और सोच ज़रीया उस को पाने का
जवाब देंहटाएंजंतर-मंत्र जादू-टोना ठीक नहीं
वाह परवाज साहेब वाह...लाजवाब ग़ज़ल कही है...
नीरज
परवाज़ जी बहुत सुन्दर गज़ल है
जवाब देंहटाएं---
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बहुत ही सरलता से दिलासा दिलाते हो ....भाई..........बहुत खुब
जवाब देंहटाएंकब तक दिल पर बोझ उठायोगे 'परवाज़'
जवाब देंहटाएंमाज़ी के ज़ख्मों को ढोना ठीक नहीं
वाह परवाज़ साहब..........कमल के शेर कहें हैं आपने.............मज़ा आ गया ग़ज़ल पढ़ कर . बहुत खूब
दिल का मोल तो बस दिल ही हो सकता है
जवाब देंहटाएंहीरे-मोती चांदी-सोना ठीक नहीं ।
बहुत ही सुन्दर पंक्तियां, हर शब्द दिल की बात बोलते हुये, बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई ।
आँखें पलकें गाल भिगोना ठीक नहीं
जवाब देंहटाएंछोटी-मोटी बात पे रोना ठीक नहीं
सुन्दर गज़ल -- हर शेर मुकम्मल
कब तक दिल पर बोझ उठायोगे 'परवाज़'
जवाब देंहटाएंमाज़ी के ज़ख्मों को ढोना ठीक नहीं
लाजवाब गज़ल के लिये बधाई
अब तो उस को भूल ही जाना बेहतर है
जवाब देंहटाएंसारी उम्र का रोना-धोना ठीक नहीं
-बहुत खूब!! वाह!
मुस्तकबिल के ख्वाबों की भी फ़िक्र करो
जवाब देंहटाएंयादों के ही हार पिरोना ठीक नहीं
दिल का मोल तो बस दिल ही हो सकता है
हीरे-मोती चांदी-सोना ठीक नहीं
वाह ... वाह बहुत खूब !
आपकी रचना पठनीय है !
शुभकामनाएं !
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